हाँ ये सच है देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैल रही है। लेकिन आप जानते है ये नफरत क्यों फैल रही है ???
दो दिन पहले एक फल विक्रेता ने बताया कि एक महिला ने फल खरीदने से पहले उसका नाम पूछा। चूँकि युवक के नाम से उसका धर्म स्प्ष्ट नही था तो महिला के पूछने पर उसने जवाब में बताया कि मैं मुसलमान हूँ। जिसके बाद महिला ने फल नही खरीदे।
देश के अलग अलग हिस्सों में इस तरह की घटनाएं हुई हैं। सब्जी, फल बेचने वालों से उनका आधार कार्ड माँगा जा रहा है। उनसे उनका धर्म पूछा जा रहा है। लोग बता रहे हैं कि नफरत फैल रही है, हाँ वाकई नफरत फैल रही है।
लेकिन न यह नफरत अचानक आज पैदा न हुई है, न ही कुछेक दिन में सामने आई है !!!
यह नफरत की आग विभाजन की उस रेखा के साथ लगाई गयी थी। इसके बाद इसे आसानी से बुजाइ जा सकती थी। लेकिन इस नफरत की आग को समय समय पर हवा दी गई, बाकायदा पाला, पोषा गया है। एक समुदाय के लिए मजहबी कानून, बाकियों के लिए संबिधान के हिसाब से चलना सिखाया गया।
• धर्मनिरपेक्षता की अंधी दौड़ में तुष्टीकरण के ऐसे कीर्तिमान स्थापित हुए हैं कि ...
• आतंकियों तक की पैरवी की गयी है। उनके परिवारों को मुआवजे के ऐलान हुए हैं ...
• राजनैतिक पार्टियों ने वोटबैंक के लिए आतंकी घटनाओं में शरीक लोगों को भी छोड़ दिये, उनको छोड़ने के चुनावी वादे किये।
• बर्बर मुगलिया आक्रान्ताओं से लेकर कश्मीर के पत्थरबाज तलक बचाव किया गया है।
• कठुआ काण्ड में जानबूझकर बच्ची का नाम इसीलिए इस्तेमाल किया गया ताकि लोगों को बताया जाए कि एक मंदिर में मुसलमान बच्ची का बलात्कार हुआ।
• शिवलिंग, मंदिरों की भद्दी तस्वीरे आज भी इस जहन में बसी हुई हैं।
• दंगाइयों, पत्थरबाजो से पीटने के बाद थानों में उत्पीड़न से तंग आकर जब बहुसंख्यक अपने हितों के लिए सरकार चुनने लगता है तो वो सांप्रदायिकता हो जाता है।
• तुम्हारी हरकतों से तंग आकर जब बहुसंख्यक समाज सवाल करता है तो तुम्हे उसमे हिन्दू मुसलमान नजर आता है।
एक पत्रकार सबा नकवी ने इस प्रकरण पर अपना दुःख साझा करते हुए बताया कि देश की जानी मानी दवाई कंपनियों के मालिक मुसलमान हैं। लोगों की मदद करने वाला अभिनेता मुसलमान है और सबसे बड़ा दानदाता भी मुसलमान है। सबा ये भी बता रही हैं कि ताजमहल भी मुसलमान है।
सबा जी, जिन लोगों का जिक्र आप कर रही हैं, वास्तव में उनसे किसी को तकलीफ है ही नहीं। तकलीफ तो असल में आपसे है, जो उन तबलीगी जमातियों के बचाव में बेशर्मी से दलीलें देती हो।
लॉकडाउन से पहले के एक मंदिर के वीडियो को 15 दिनों बाद साझा करती हैं। असल तकलीफ आपकी इसी बौद्धिक जमात से है जो तबलीगियों प्रकरण सामने आने के बाद उनके बचाव में एक साल पुराने रामनवमी का वीडियो साझा करते हैं।
जाकिर नाईक के भाषणों को सुन लोग आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं लेकिन दूसरे धर्म का जमकर उपहास उड़ाने वाला शख्स तुम्हारा प्रेरणास्रोत है और उसके खिलाफ बोलना हिन्दू मुसलमान हो जाता है।
• " #भारत_तेरे_टुकड़े_होंगे_इंशाअल्लाह_इंशाअल्लाह "
• "#अफजल_तेरे_खून_से_इन्कलाब_आएगा " जैसे नारेबाजों समर्थन में जो कैम्पन चलाया है ...
• सब कुछ जानते हुए CAA / NRC के विरोध प्रदर्शन के नाम देश के साथ गद्दारी
• और हाल के दिल्ही के दंगे ...
यह सब देखते हुए भी सहिष्णु हिंदु मनोमन आक्रोशित होकर सहता रहा, चुप रहा। हमारी सहिष्णुता को तुमने हमारी कमजोरी समज ली और अपनी हरकतों से बाज नही आये ...
वो सबने देखा है। असल समस्या यही है कि एक समुदाय विशेष के हर क्रूरतम अपराध का बचाव करने में तुम्हारी पूरी फौज एकजुट होकर ढाल बन जाती है।
और आज इसी मानसिकता की सजा आम मुसलमान भुगत रहा है।
• आरएसएस के खिलाफ बोलना हिन्दू मुसलमान नहीं है,
• भगवा आतंकी बोलना हिन्दू मुसलमान नहीं है,
• आतंकियों की पैरवी करना हिन्दू मुसलमान नही हैं,
• हिंदुत्व की कब्र खोदना हिन्दू मुसलमान नहीं हैं,
• लिंचिंग की घटनाओं में एक ही समुदाय के लोगों का जिक्र करना हिन्दू मुसलमान नहीं है,
• हिन्दू प्रतीकों का उपहास उडाना भी हिन्दू मुसलमान नहीं है
• फिर क्या है, हिन्दू मुसलमान ???
• वही जो आप तय करेंगे !!!
• धर्मनिरपेक्षता, सांप्रदायिक सब आपके ही चश्मे से नापी जाएगी ?
• किसका विरोध करना है और किसका नहीं करना है, क्या यह सब आप ही समजाएँगे ?
इस हिन्दू मुसलमान की शुरुआत असल में आपने की है और इसे हवा राजनैतिक दलों ने दी है, लेकिन हम जानते है की आज समाज में वास्तव में जो हो कुछ हो रहा है वो तुम्हारी बहुत बड़ी कामयाबी है। तुमने जो मंसूबे पाले हुए हैं वो यहाँ तक सफल हो गए हैं।
बस दिमाग में एक बात साफ रखना कि अब कोई " #डायरेक्ट_एक्शन_डे " नहीं होगा ... और न होगी कोई लाल क्रांति ...
सिर्फ ... सम्पूर्ण बहिष्कार ... आगे आगे देखते जाओ होता है क्या ...
सोये हुए सहिष्णु हिंदु को उंगली करके तुमने ही जगाया है!
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