MASSAD OF ISRAEL
फर्जी पासपोर्ट पर दुबई में घुसकर
दुश्मन को मारा, ऐसी खतरनाक है ये एजेंसी
Dainik
Bhaskar Jan 16, 2018, 03:49 PM IST
इजरायल
की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अब तक ऐसे-ऐसे कारनामे किए हैं, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती
है।
इंटरनेशनल डेस्क. इजरायल की पीएम बेंजामिन
नेतान्याहू भारत के दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच कई करार हुए हैं। इजरायल की
खुफिया एजेंसी मोसाद और भारत की रॉ के बीच सुरक्षा और आतंकवाद का सामना करने को
लेकर भी एक करार हुआ है। मोसाद को दुनिया की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी में से एक
माना जाता है। इस एजेंसी ने अब तक ऐसे-ऐसे कारनामे किए हैं, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती
है। यहां हम मोसाद एजेंसी के ऐसे ही कुछ कारनामों के बारे में बता रहे हैं।
दुश्मन को मारने नकली पासपोर्ट से जा पहुंचे थे दुबई ऑपरेशन मबूह
फलस्तीन में विद्रोही संगठन
हमास का लीडर महमूद अल-मबूह इजरायल में कई आतंकी हमलों में शामिल था। इसके अलावा
वह हमास के लिए हथियारों की खरीद-फरोख्त भी करता था। इसी के चलते वह मोसाद के
दुश्मनों की लिस्ट में टॉप पर था। जब मबूह को जानकारी मिली कि मोसाद उसके पीछे तो
वह भागकर दुबई जा पहुंचा था। हालांकि मोसाद ने यह भी पता लगा लिया था मबूह दुबई
में कहां छिपा था। इसके लिए लिए मोसाद ने जनवरी का महीना चुना, क्योंकि इस समय दुबई का मौसम
अच्छा रहता है, जिससे यहां टूरिस्ट काफी संख्या में पहुंचते हैं। इसी का फायदा
उठाते हुए मोसाद ने अपने कमांडों को फर्जी पासपोर्ट के जरिए दुबई पहुंचाया।
दुबई के होटल अल बुस्तान रोताना
में 19 जनवरी 2010 को मोसाद के कमांडोज ने यहां छिपे मबूह को इस
तरह मारा कि दुबई पुलिस को इसकी जांच करने में ही हफ्तों का समय लग गया था कि यह
मर्डर था या फिर एक्सीडेंट। हालांकि, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में साफ हो गया
था कि मबूह के पैर में सक्सिनीकोलीन नाम के जहर का इंजेक्शन लगाया गया था। इस जहर
से मबूह को ब्रेन हेमरेज हो गया था और उसकी मौत हो गई थी। बाद में जांच में सामने
आया कि यह मोसाद का ही काम था और इसके लिए 33 एजेंट्स को लगाया गया था।
आगे की स्लाइड्स में जाने मोसाद के बाकी खतरनाक ऑपरेशंस के
बारे में...
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अब
तक ऐसे-ऐसे कारनामे किए हैं, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती है।
4000
किमी दूर दुश्मन
देश में फंसे 102
लोगों को 90 मिनट में छुड़ा लाए
ऑपरेशन एन्तेबे
जून 1976 में फलस्तीन विद्रोहियों ने एयरफ्रांस का एक
विमान हाइजैक कर लिया। विमान तेलअवीव से पेरिस जा रहा था। 248 यात्री सवार थे। विमान को युगांडा के एंटीबी
एयरपोर्ट ले जाया गया। उग्रवादियों के साथ युगांडा के तानाशाह ईदी अमीन की मिलीभगत
थी। विमान से इजरायली पैसेंजर्स को छोड़ बाकी लोगों को रिहा कर दिया गया। इजरायल के
सामने बड़ी चुनौती थी,
खासकर जब दुश्मन
4000 किमी किसी दूसरे मुल्क में हो। इसके बावजूद
बातचीत के बजाय कार्रवाई का रास्ता चुना गया। पहले होस्टेज ड्रामा की रिहर्सल की
गई।
इजरायल के 100 कमांडो चार कागरे प्लेन में सवार होकर
युगांडा रवाना हो गए। सिर्फ जाने का ही ईंधन था, लौटने की तैयारी युगांडा पहुंचकर ही करनी थी। युगांडा का तानाशाह ईदी अमीन
बेशकीमती कारों का दीवाना है, इसलिए इसे लेकर ही रणनीति बनाई गई। कागरे प्लेन से रात 11:30 महंगी कारों को लैंड करवाया गया, इसमें इजरायली कमांडो सवार हुए और विमान की
ओर चल दिए।
इजरायली टीमें
तीन भागों में बंटी। पहले ने पैसेंजर्स को बचाया, दूसरी टीम ने मोर्चा संभाले रखा और तीसरी ने लौटने के लिए एयरपोर्ट से ईंधन
जुटाया। ऑपरेशन कामयाब रहा। सिर्फ एक कमांडो शहीद हुआ। नाम था-योनाथन नेतान्याहू।
यानी वर्तमान इजरायली पीएम बेंजामिन नेतान्याहू के बड़े भाई। आते समय इजरायली
कमांडोज ने एयरपोर्ट पर खड़े सभी 30 फाइटर जेट्स तबाह कर दिए थे, जिससे दुश्मन उनका पीछा न कर सकें। इस ऑपरेशन में सारे हाईजैकर्स, युगांडा के 45 सैनिक,
3 होस्टेजेस मारे
गए थे।
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इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद
ने अब तक ऐसे-ऐसे कारनामे किए हैं, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती है।
म्यूनिख में
इजरायली खिलाड़ियों पर हमले के वक्त की फोटो।
म्यूनिख में मारे गए 11 इजरायली खिलाड़ियों की मौत का
लिया बदला
ऑपरेशन
रैथ ऑफ गॉड
साल 1972 में म्यूनिख में ओलंपिक के लिए
दुनिया भर से खिलाड़ी इकट्ठा हुए थे। इसी में इजरायल के 11 खिलाड़ियों की टीम भी शामिल थी।
इसी दौरान, जिस होटल में इजरायली टीम रुकी हुई थीं, वहां आतंकियों ने हमला कर सभी 11 खिलाड़ियों को मौत के घाट उतार
दिया था। इसका आरोप दो आतंकी संगठनों पर लगा और इसे अंजाम देने वाले 11 लोगों की लिस्ट सामने आई।
इजरायल इन सभी आतंकियों को मौत देना चाहता था। इसका काम मोसाद को सौंपा गया और टीम
ने एक के बाद एक सभी आतंकियों के ठिकाने का पता लगा लिया और एक-एककर सभी आतंकियों
को मौत के घाट उतार दिया।
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इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद
ने अब तक ऐसे-ऐसे कारनामे किए हैं, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती है।
दूसरे देश में
घुस दुश्मन को मौत के घाट उतारा
ऑपरेशन
ट्यूनीशिया
फलस्तीन के नेता
यासिर अराफात के करीबी खलील अल वजीर भी मोसाद की हिट लिस्ट में था। हमले के डर से
खलील ट्यूनिशिया चला गया था, जहां उसे सरकार का सपोर्ट भी था। मोसाद के एजेंट्स ने पता लगा लिया था कि खलील
ट्यूनीशिया में कहां रह रहा है। इसके बाद उसे मारने की प्लानिंग की गई, जिसके लिए 35 एजेंट काम पर लगाए गए। करीब 20 एजेंट्स टूरिस्ट बनकर ट्यूनिशिया पहुंचे। यहां पहुंचकर इन्होंने ट्यूनीशियाई
आर्मी की ड्रेस का इंतजाम किया, जिससे इन पर किसी को शक न हो। इसके बाद सारे एजेंट अबू जिहाद के घर में दाखिल
हुए और अबू को मौत के घाट उतार दिया।
5.
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अब
तक ऐसे-ऐसे कारनामे किए हैं, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती है।
अमेरिका से
चोरी से गायब कर दी 200 किलो यूरेनियम
यूरेनियम की चोरी
मोसाद का यह ऑपरेशन सबसे ज्यादा चौंकाने वाला था। 1960 में पेन्सिलवेनिया में न्यूक्लियर मैटीरियल
तैयार किया जाता था। इसे 1983 में बंद कर दिया गया था। फेडरल गवर्नमेंट
ने रेडिएशन हटाने के लिए प्रॉसेस शुरू किया, तब पता चला कि
प्लांट से करीब 200 किलो यूरेनियम गायब था। यह अमेरिका को सकते
में डाल देने वाला मामला था। तुरंत जांच शुरू करवाई गई तो पता चला कि इसके पीछे
मोसाद का हाथ था। प्लांट से यूरेनियम चुराकर पास ही कई दिनों तक जमीन में गाड़कर
रख दिया गया था और इसके बाद धीरे-धीरे समुद्री रास्ते से यह यूरेनियम इजरायल
पहुंचा दिया गया था।******* END *******
Brig Narinder Dhand,
Founder & Convener
Veteran's Web Portals.
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